Puraanic contexts of words like Rishi, Rishyamuuka, Ekadanta, Ekalavya etc. are given here.
Vedic view of Ekata, Dvita and Trita (by Dr. Tomar)
ऋषिक ब्रह्माण्ड १.२.१८.५३ ( ह्लादिनी नदी से सींचा जाने वाला एक देश ), मत्स्य १२१.५३ ( वही)
ऋषिका नारद १.५०.३८ ( पञ्चम स्वर में मूर्च्छा का नाम ), मत्स्य ११४.३२ ( ऋषीका : शुक्तिमान पर्वत से उद्भूत नदी ), वायु ४५.१०७ ( ऋषीका : शुक्तिमान पर्वत से उद्भूत एक नदी ), शिव ४.७ ( द्विज - पत्नी ऋषिका के तप में मूढ दैत्य द्वारा विघ्न, शिव द्वारा मूढ का निग्रह, ऋषिका का गङ्गा से मिलन, ऋषिका तीर्थ का माहात्म्य ) Rishikaa
ऋषिकुल्या ब्रह्माण्ड १.२.१६.३७ ( शुक्तिमान पर्वत से निःसृत एक नदी ), भागवत ५.१५.६ ( भूमा - पत्नी, उद्गीथ - माता, भरत वंश ), ५.१९.१८ ( भारतवर्ष की एक नदी ), मत्स्य ११४.३१ ( महेन्द्र पर्वत से उद्भूत एक नदी ), विष्णु २.३.१३ ( शुक्तिमान पर्वत से निःसृत एक नदी ), स्कन्द २.२.६.२७ ( ऋषिकुल्या नदी व स्वर्णरेखा नदी के मध्य उत्कल देश की स्थिति का कथन ) Rishikulyaa
ऋषिकेश लक्ष्मीनारायण १.२५७.६ ( भाद्रपद शुक्ल एकादशी को ऋषिकेश की पूजा ) द्र. कुब्जाम्रक, हृषीकेश
ऋषितोया स्कन्द ७.१.२९६+ ( ऋषितोया नदी का माहात्म्य : पितर तृप्ति हेतु ब्रह्मा के कमण्डलु से उत्पत्ति, काल अनुसार विभिन्न नदियों के जलों का ऋषितोया में प्रवाह ), ७.१.३१७+ ( ऋषितोया नदी तट पर स्थित ब्रह्मेश्वर, उन्नत विनायक, क्षेमेश्वर आदि लिङ्गों के माहात्म्य ), लक्ष्मीनारायण १.५४५.६५ ( ऋषितोया नदी की ब्रह्मा के कमण्डलु से उत्पत्ति का वर्णन ) Rishitoyaa
ऋष्य गर्ग ७.७.३ ( गुर्जर देश - अधिपति, ऋष्य द्वारा प्रद्युम्न की आधीनता स्वीकार करना ), भागवत ९.२२.११ ( देवातिथि - पुत्र, दिलीप - पिता, कुरु / दिवोदास वंश ), मत्स्य ४९.१० ( ऋष्यन्त : ऐलिन व उपदानवी - पुत्र, पूरु वंश ), विष्णुधर्मोत्तर ३.१८.१ ( ऋष्यका : ७ मध्यमग्रामिकों में से एक ), ३.१४६.२ ( अनिरुद्ध के केतु के रूप में ऋष्य का उल्लेख ) Rishya
ऋष्यमूक गर्ग १.६.३० ( ऋष्यमूक वन में केशी दैत्य का वास ), वा.रामायण ३.७३.३१ ( कबन्ध राक्षस द्वारा राम से ऋष्यमूक पर्वत के माहात्म्य का वर्णन : ऋष्यमूक के निकट पम्पा सरोवर व मतङ्ग वन की स्थिति ), ४.१०.२८ ( वाली से त्रस्त सुग्रीव का ऋष्यमूक पर्वत पर शरण लेना ), कथासरित् १४.३.३ ( ऋष्यमूक पर्वत पर राजा नरवाहन दत्त का निवास करना व राम की कथा सुनना ) Rishyamuuka/ rishyamuka
ऋष्यशृङ्ग ब्रह्मवैवर्त्त २.४.५५(विभाण्डक द्वारा ऋष्यशृङ्ग को सरस्वती मन्त्र प्रदान का उल्लेख), २.५१.३५ ( ऋष्यशृङ्ग ऋषि द्वारा सुयज्ञ नृप हेतु कृतघ्नता दोष का निरूपण करना ), भागवत ८.१३.१५ ( आठवें सावर्णि मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक ), ९.२३.८ ( विभाण्डक मुनि व हरिणी - पुत्र, रोमपाद के राज्य में ऋष्यशृङ्ग के प्रवेश पर वर्षा होना व ऋष्यशृङ्ग का शान्ता से विवाह ), मत्स्य ४८.९६ ( ऋष्यशृङ्ग की कृपा से चतुरङ्ग को पृथुलाक्ष पुत्र की प्राप्ति का कथन ), महाभारत द्रोण १०६.१६, वायु १००.११ ( आठवें मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक ), विष्णु ३.२.१७ ( वही), वा.रामायण १.९+ ( मुनि, विभाण्डक - पुत्र, ऋष्यशृङ्ग के अङ्ग देश में आगमन पर वृष्टि, शान्ता से विवाह, दशरथ के अश्वमेध में आगमन ), लक्ष्मीनारायण १.४८५ ( राजा चित्रसेन द्वारा मृग रूप धारी दीर्घतमा - पुत्र ऋष्यशृङ्ग की हत्या, ऋष्यशृङ्ग के शोक में पिता आदि परिवार जनों की मृत्यु , नर्मदा में अस्थि क्षेप से दिव्य रूप प्राप्ति ; तु. स्कन्द ५.३.५२ में दीर्घतपा - पुत्र ऋक्षशृङ्ग की कथा ) Rishyashringa
लृ अग्नि ३४८.३ ( दिति हेतु लृ का प्रयोग )
ए अग्नि १२४.८ ( ओंकार में बिन्दु की एकार रूप में स्थिति का उल्लेख ), ३४८.३ ( देवी हेतु ए का प्रयोग )
एक- गरुड ३.१८.७७(सरस्वती से शतानन्द, भारती से एकानन्द), लक्ष्मीनारायण १.५३९.७३( एक छाग की अशुभता का उल्लेख ), २.२१७.१०१( एकद्वार : श्रीहरि का कोटीश्वर नृप द्वारा पालित एकद्वार राष्ट्र को गमन, प्रजा को उपदेश आदि )
एकचक्र भागवत ३.१.२० ( युधिष्ठिर द्वारा एकचक्रा नामक क्षिति का राज्य करने का उल्लेख ), ६.६.३१ ( दनु के प्रधान पुत्रों में से एक ), मत्स्य ६.१९ ( वही), विष्णु १.२१.५ ( वही), स्कन्द ३.३.६ ( एकचक्रा नामक ग्राम में विप्र - पत्नी उमा द्वारा निराश्रित पुत्र के पालन की कथा ), हरिवंश ३.५१.३० ( बलि - सेनानी, प्रकृति का कथन ), ३.५३.१७ ( एकचक्र का साध्य देवगण से युद्ध ) Ekachakra
एकजटा वा.रामायण ५.२३.५ ( रावण की सहायिका राक्षसी एकजटा द्वारा सीता को रावण का वरण करने का परामर्श )
एकज्योति विष्णुधर्मोत्तर १.५६(१० ( प्रधान मरुत का नाम, विष्णु का विशेषण )
एकत पद्म ५.१०.३९ ( एकत व द्वित की राम के अश्वमेध यज्ञ में उत्तर द्वार पर स्थिति ), भागवत १०.८४.५ ( स्यमन्तपञ्चक क्षेत्र में कृष्ण से मिलने आए ऋषियों में से एक ), स्कन्द ७.१.२५७ ( आत्रेयवंशी एकत व द्वित द्वारा कनिष्ठ भ्राता त्रित का कूप में क्षेपण ) Ekata
एकदन्त गणेश १.९२.१६ ( मुनियों द्वारा एकदन्त नाम से गणेश की पूजा ), २.८५.२५ ( एकदन्त गणेश से पाद, गुल्फ की रक्षा की प्रार्थना), नारद १.६६.१२६( एकदन्त की शक्ति सुमेधा का उल्लेख ), ब्रह्मवैवर्त्त ३.४३.४४ ( परशुराम द्वारा गणेश के एकदन्त का छेदन करने पर गणेश द्वारा अर्जित नाम ), ३.४४.८८ ( एकदन्त शब्द की निरुक्ति ), ब्रह्माण्ड २.३.४२.८ ( परशुराम द्वारा गणेश के एकदन्त के छेदन पर गणेश द्वारा अर्जित नाम ), ३.४.४४.६६ ( ५१गणेशों में से एक, गणेश की शक्ति का नामोल्लेख ), स्कन्द २.४.३०.२०टीका ( कर्मदत्त द्विज - पुत्र, वेश्यादि कर्म में आसक्ति, कार्तिक मास के पुण्य से मृत्यु के पश्चात् स्वर्गलोक की प्राप्ति ), ४.२.५७.८१ ( एकदन्त विनायक का संक्षिप्त माहात्म्य ) Ekadanta
एकनेत्र नारद १.६६.११२( एकनेत्र की शक्ति भूतमात्रा का उल्लेख )
एकपर्णा ब्रह्माण्ड २.३.८.३२ ( हिमवान व मेना की तीन पुत्रियों में से एक, असित मुनि - भार्या, देवल - माता ), मत्स्य १३.८ ( वही), वायु ७२.७ ( वही), हरिवंश १.१८.२३ ( वही) Ekaparnaa